Japan Moon Mission/ चांद पर आज उतरेगा जापान का मून मिशन(SLIM)

  

चांद पर आज उतरेगा जापान का मून मिशन स्नाइपर, जापान 1966 के बाद चांद पर लैंड करने वाला पांचवां देश होगा।


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स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (एसएलआईएम) को को 7 सितंबर 2023 को सुबह 8:42:11 बजे तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से एच-आईए लॉन्च वाहन संख्या 47 पर लॉन्च किया गया था। (जापान समय के अनुसार)


इसके साथ ही एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (एक्सआरआईएसएम) को भी लॉन्च किया गया था।




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आज करीब 4 महीने 12 दिन बाद जापान का मून मिशन SLIM चांद की सतह पर लैंड करने करने के लिए तैयार है। जापान की स्पेस एजेंसी JAXA(Japan Aerospace Exploration Agency) ने बताया है कि स्नापर रात 9 बजे लैंडिंग कर सकता है। लैंडिंग की प्रोसेस करीब 20 मिनट पहले से शुरू की जाएगी। लैंडिंग सफल रही है तो जापान 1966 के बाद चांद पर लैंड करने वाला पांचवां देश होगा।


आइये जानते है की लैंडर मून पर पहुंचकर कौन कौनसी जानकारियाँ धरती तक पहुंचाएगा,


कई साल पहले जब चंद्रमा पर ज्वालामुखी फटे थे तो वैज्ञानिकों ने इन जगहों का नाम शिओली क्रेटर (गड्ढे) रखा था।

जापान का चंद्र मिशन इन शिओली क्रेटर की जांच करेगा और उनसे यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि चंद्रमा के निर्माण कैसे हुआ था ज्वालामुखी विस्फोट के कारण चंद्रमा पर आज भी विशाल शिओली क्रेटर (गड्ढे) हैं। और उनके अंदरूनी हिस्सों के बारे में जानकारी हासिल होगी।

 जापानी स्थानीय मीडिया के अनुसार जापान इस मिशन पर करीब 102 मिलियन डॉलर खर्च कर चूका हैं। जो की एक बहुत बड़ी कीमत है जापान का स्नाइपर पहले हुए मून मिशन्स में लैंडिंग के लिहाज से सबसे एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से तैयार है। इस मिशन के जरिए चंद्रमा पर पाए जाने वाले कई तत्वों, पदार्थों और खनिजों की जानकारी पृथ्वी पर भेजी जाएगी।

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स्थानीय मीडिया के अनुसार लैंडर को पिनपॉइंट लैंडिंग करवाई जाएगी, आईये जानते है पिनपॉइंट लैंडिंग से क्या फायदा होगा

 

·         इस लैंडर का वजन लगभग 200 किलोग्राम है। लंबाई 2.4 मीटर और चौड़ाई 2.7 मीटर है। इसमें बेहतरीन रडार, लेजर रेंज फाइंडर और विजन बेस्ड नेविगेशन सिस्टम हैं जो की लैंडिंग के लिहाज से सबसे एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से तैयार है।। ये इक्विपमेंट्स ऐक्युरेट लैंडिंग में मदद करेंगे।

·          पिनपॉइंट लैंडिंग से यान के उपकरण सुरक्षित रहने की संभावना ज्यादा रहती है और पिनपॉइंट लैंडिंग का सबसे बड़ा फायदा ये है कि एक खास जगह पर पहले से फोकस किया जाता है। और स्थान विशेष के अनुसार लैंडर के अंदर उपकरण लगाए जाते हैं.

·         लैंडर में लगे कैमरे चंद्रमा पर मौजूद चट्टानों की साफ तस्वीरें लेंगे। इसके साथ ही इसमें लूनर में एक्सप्लोरेशन व्हीकल और लूनर रोबोट भी हैं। जिनको ORA-Q नाम दिया गया है। इनका साइज बहुत छोटा है जिनको आसानी से हथेली पर रखा जा सकता है।


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भारत के मून मिशन चंद्रयान-3/2023 के बाद दुनिया की जापान के मून मिशन स्नाइपर पर नजरें टिकी हुई है। 










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